Class 12 Biology Chapter 4 Notes in Hindi: प्रिय छात्रों इस लेख में आपको जनन स्वास्थ्य अध्याय- 4 कक्षा 12वीं जीव विज्ञान नोट्स मिलने वाले हैं जिस से कि आप अपनी exam की preparation बड़े ही अच्छे ढंग से कर पाएंगे। समझने वाली बात है प्रिय विद्यार्थियों कि आपको अधिक समय मिल जाता है अगर आपको बने बनाये नोट्स ऑनलाइन मिल जाते हैं क्योकि विज्ञान विषय के अलावा भी class 12 में और भी विषय होते हैं जिन पर आपको भरपूर ध्यान होता है।
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PDF Name | Class 12 Biology Chapter 4 Notes in Hindi PDF |
PDF Pages | 4 |
PDF Size | 1 MB |
Category | Notes |
Language | हिंदी / Hindi |
Download | Available |
– Class 12 Biology Chapter 4 Notes in Hindi PDF Download | जनन स्वास्थ्य जीव विज्ञान नोट्स –
जनसंख्या विस्फोट
परिभाषा:- अपेक्षाकृत कम समय में हुई जनसंख्या में तीव्र वृद्धि को जनसंख्या विस्फोट कहते है।
हमारे देश की जनसंख्या स्वतंत्रता के समय लगभग 40 करोड थी तथा यह बढ़कर सन् 1981 में लगभग 70 करोड हो गई और 2011 में हुई जनगणना के अनुसार 2011 में भारत की जनसंख्या 121 करोड हो गई ।
विश्व भर मे भारत चीन के बाद जनसंख्या में दूसरे स्थान पर है ।
जनसंख्या विस्फोट के कारण
जनसंख्या विस्फोट के कारण निम्नलिखित है।
- मृत्युदर मे आयी निरंतर कमी ।
- मातृ मृत्युदर मे कमी ।
- शिशु मृत्युदर मे कमी ।
- जनन आयु वाले व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि।
जनसंख्या विस्फोट के दुष्परिणाम
- शिक्षा व्यवस्था की समस्या
- रोजगार की समस्या
- निर्धनता
- खाद्यान्न आपूर्ति की समस्या
- स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवा समस्या
जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण के उपाय
- जनसंख्या नियन्त्रण का सर्वाधिक प्रभावी तरीका गर्भ निरोधको का प्रचार प्रसार ।
- छोटे परिवार वाले दम्पतियों को प्रोत्साहन देना ।
- शिक्षा व्यवस्था
- परिवार कल्याण सम्बन्धि कार्यक्रम को बढ़ावा देना ।
गर्भ निरोधक
एक उत्तम गर्भ निरोधक मे निम्नलिखित गुण होने चाहिए।
- यह पूर्ण रूप से कारगर होना चाहिए ।
- यह प्रयोग मे सरल होना चाहिए।
- इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होना चाहिए ।
- यह आसानी से उपलब्ध होने वाला होना चाहिए।
गर्भ निरोधको के प्रकार
वर्तमान में बाजार में उपलब्ध गर्भनिरोधको को निम्न श्रेणियो मे वंगीकृत किया गया है।
- प्राकृतिक विधियाँ (Natural Methods)
- रोध रोधक (Barrier)
- अन्तः गर्भाशयी युक्तियाँ (Intra Uterine Devices, IUD)
- गोलिया (Pills)
- शल्य क्रिया विधिया / बन्ध्याकरण (Surgical Methods of Sterilisation)
प्राकृतिक विधियाँ
यह प्रक्रिया अंड तथा शुक्राणु के मिलने से रोकने के सिद्धांत पर कार्य करती है। इसमें निषेचन को रोका जाता है।
यह निम्न तरीको से की जाती है।
- बाहरी रस्खलन विधि:- इस प्रक्रिया मे मैथुन के दौरान पुरुष वीर्य रस्खलन से पहले ही शीश्न को मादा के शरीर से बाहर निकाल लेता है।
- आवधिक संयम:- इसमे एक दम्पत्ति मासिक चक्र के 10 वे से 17 वे दिन के बीच मे मैथुन नहीं करते क्योंकि इस दौरान गर्भधारण के बहुत अधिक अवसर होते है ।
- स्तनपान अवस्था चक्र:- प्रसव पश्चात माँ जब तक शिशु को स्तनपान कराती है तब तक ऋतुस्ताव चक्र या अण्डोत्सर्ग आरम्भ नहीं होता। यह विधि लगभग 6 माह तक कारगर मानी गयी है, प्रसव पश्चात।
रोधक विधियाँ
इस विधि में किसी भौतिक अवरोधक का प्रयोग करके नर तथा मादा युग्मंक को मिलने से रोक दिया जाता है।
जैसे:- Condom Cerical caps, Diaphram आदि।
अन्तः गर्भाशयी युक्तियाँ
अन्तः गर्भाशयी युक्ति को गर्भाशय मे जोड़ा जाता है, जो किसी प्रशिक्षित डाक्टर या नर्स के द्वारा लगवाया जाता है।
यह युक्ति निम्नलिखित प्रकार की होती है।
- औषधिरहित अंत: गर्भाशय युक्तियाँ
- ताँबा मोचक IUN युक्तियाँ
- हॉर्मोन मोचक IUN
गोलिया
गर्भ निरोधक गोलियाँ:-
यह एक विशेष प्रकार की गोलियाँ होती है जिसमें एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरान का संगठन होता है। यह गोलियाँ प्रायः मादा द्वारा 21 दिनों तक लगातार ली जाती है तथा शेष 7 दिनों तक अंतराल रखा जाता है। इन गोलियो को लगातार बिना भूले रोज ही खाना होता है। यह गोलियाँ एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन को शरीर में बढ़ा देती है जिससे आर्तव चक्र प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है।
उदाहरण → सहेली, माला-डी |
शल्यक्रिया विधि
यह विधि उन लोगो मे करायी जाती है, जो भविष्य में बच्चा नहीं चाहते है। इस विधि को बन्ध्याकरण भी कहते हैं। यह विधि परिवार नियोजन की स्थायी विधि है।
बन्ध्याकरण प्रक्रिया को पुरुषों में शुक्रवाहक उच्छेदन तथा महिलाओं के लिए डिम्बवाहिनी नलिका उच्छेदन कहा जाता है।
सगर्भता का चिकित्सीय समापन (M.T.P)
गर्भावस्था पूरी होने से पहले ही दम्पत्ति की इच्छा से गर्भ को खत्म करने की प्रक्रिया को चिकित्सीय सगर्भता समापन या प्रेरित गर्भपात कहा जाता है । सगर्भता चिकित्सीय समापन को भारत सरकार ने विशेष परिस्थितियों में ही वैध माना है, जैसे-
- स्त्री की इच्छा से सगर्भता।
- गर्भ निरोधक साधनों के असफल होने के कारण सगर्भता।
- अनचाहा गर्भधारण।
- बलात्कार।
भारत सरकार ने MTP के दुरुपयोग को रोकने के लिए सन् 1971 में MTP को कानूनी स्वीकृति प्रदान कर दी थी। इसी कारण लिंग परीक्षण पर रोक लगा दिया गया और कन्या भ्रूण हत्या पर भी नियम बनाया |
प्रथम तिमाही तक गर्भपात कराना सुरक्षित रहता है।
यौन संचारित या लैंगिक संचारित रोग
वे रोग जो सम्भोग के समय यौन सम्बन्धो द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संचारित होते हैं, उन्हें यौन संचारित या लैंगिक संचारित रोग कहा जाता है। इन्हें यौन रोग या गुप्त रोग भी कहा जाता है।
जीवाणु द्वारा (STD):-
(1) सूजाक: यह रोग जीवाणुओं द्वारा होता है। सूजाक रोग नाइसेरिया गोनोरिया नामक जीवाणु से होता है ।
लक्षण:- मूत्र त्याग के समय जलन |
(2) सिफलिस :- सिफलिस यौन संचारित रोग होता है। सिफलिस रोग ट्रेपोनेमा पेलीडम जीवाणु द्वारा होता है।
लक्षण:- जननांगो पर घाव होना ।
विषाणु द्वारा (STD) :-
(1) एड्स :- एड्स विषाणुओ द्वारा होता है। एड्स रोग प्रतिरक्षा तंत्र को कम कर देता है।
एड्स HIV नामक विषाणु से होता है।
लक्षण = निरन्तर ज्वर, मांसपेशियो मे दर्द ।
(2) हैपेटाइटिस – B:- यह भी एक विषाणु जनित रोग है।
यह रोग HBV नामक विषाणु द्वारा होता है।
लक्षण:- पेट दर्द, जी मचलना आदि।
(3) जेनीटल वार्ट :- यह रोग Human popiloma virus द्वारा होता है।
लक्षण→ पुरुषों के शिश्न व स्त्रियों के लेविया योनि व गर्भाशय मे मस्से बन जाना |
बन्ध्यता (Infertility)
यदि कोई दम्पत्ति गर्भ धारण नहीं कर पाता है, तो उसे बन्ध्यता या बाँझपन कहा जाता है।
कुछ विशेष तकनीकी जैसे सहायक जनक प्रौद्योगिकीयाँ द्वारा बन्ध्यता को सही किया जा सकता है। इसके लिए निम्नलिखित विधियो का उपयोग किया जाता है-
(1) परखनली शिशु (In Vitro fertilisation)- इस विधि मे शुक्राणु और अण्डाणु के मध्य निषेचन की क्रिया शरीर के भीतर जैसी ही परिस्थितियों में ही शरीर से बाहर Test Tube में करायी जाती है।
इस विधि में पत्नी या दाता स्त्री के अण्डाणु तथा पति व दाता पुरुष के शुक्राणु को प्रयोगशाला में ले जाकर निषेचन कराया जाता है, जिससे जाइगोट या युग्मनज का स्थानांतरण पत्नी में कर दिया जाता है।
(2) युग्मक अन्त: फैलोपियन स्थानांतरण (GIFT)- यह उन महिलाओं के लिए अधिक उपयोगी होता है, जिनमें अण्डाणु का निर्माण नहीं होता है, लेकिन निषेचन तथा भ्रूण के बदलाव में सक्षम होती है।
इसमें दाता स्त्री के अण्डाणु को स्त्री के अण्डवाहिनी मे स्थानांतरित कर दिया जाता है।
(3) अन्तः कोशिकीय शुक्राणु निक्षेपण – इसे शुक्राणु को सीधे अण्डाणु के अन्दर प्रवेश करा दिया जाता है।
(4) कृत्रिम वीर्यसेचन– यह विधि उन नरों में उपयोग की जाती है, जो प्राकृतिक रूप से स्त्री की योनि मे वीर्य नहीं पहुँचा पाते या जिनके वीर्य में शुक्राणु नहीं होते।
इस विधि में पति या स्वस्थ दाता के वीर्य को स्त्री के योनि या गर्भाशय में प्रवेश करा दिया जाता है।
(5) सरोगेट माँ- कुछ स्त्रीयो मे अण्डाणु का निषेचन होता है, किन्तु कुछ कारण वश भ्रूण का परिवर्धन नहीं हो पाता तो उस अवस्था में स्त्री के अण्डाणु व उसके पति के शुक्राणु का कृत्रिम रूप से निषेचन कराया जाता है तथा भ्रूण को 32 कोशिकीय अवस्था में किसी दूसरी इच्छुक स्त्री के गर्भाशय मे रोपित किया जाता है। इस स्त्री को सरोगेट माँ कहते है।
Class 12 Biology Chapter 4 Notes in Hindi PDF: Reproductive Health
दोस्तों जैसा कि हम सब जानते हैं कि विज्ञान विषय की प्रिपरेशन में अन्य विषय की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही समय लगता है क्योंकि यहाँ थ्योरी के अलावा प्रक्टिकल्स की भी भरपूर तैयारी करनी होती है और ऐसे में ये ऑनलाइन नोट्स विद्यार्थियों के लिए वरदान सिद्ध होते हैं।
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Class 12 Biology Chapter 4 Notes in Hindi PDF Download ( जनन स्वास्थ्य अध्याय- 4 कक्षा 12वीं )
प्रिय छात्रों हमें उम्मीद है कि आपने Class 12 Biology Chapter 4 Notes in Hindi PDF को download कर लिया होगा और ये नोट्स आपके एग्जाम प्रिपरेशन में बहुत मददकार सिद्ध होंगे। अगर अभी तक आपलोगों ने इन्हे अपने मित्रों के साथ साझा नहीं किया है तो कृपया ये नोट्स साझा करिये ताकि हर विद्यार्थियों तक ये नोट्स उपलब्ध हो सकें।
धन्यवाद और शुभकामनाएं।
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