Class 12 Biology Chapter 3 Notes in Hindi PDF: प्रिय छात्रों, उम्मीद है कि आपकी Exam की प्रिपरेशन अच्छी चल रही होगी। अगर आप Class 12th के विज्ञान स्ट्रीम (Science Stream) के छात्र हैं तो आपको भी जीव विज्ञान के नोट्स (Biology notes) की तलाश रहती होगी इसीलिए आज हम अपने इस पोस्ट पर आपके लिए लेकर आये हैं Class 12 Biology Chapter 3 Notes in Hindi PDF जिसको आप अपने मोबाइल पर आसानी से डोनलोड कर सकते हैं।
इस पीडीऍफ़ में आपको Class 12 Biology Chapter 3 Notes के हिंदी माध्यम में नोट्स मिल जायेंगे जिसे पढ़कर आप अपने एग्जाम की प्रे और अच्छे से कर सकते हैं।
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PDF Name | Class 12 Biology Chapter 3 Notes in Hindi PDF |
PDF Pages | 13 |
PDF Size | 719 KB |
Category | Notes |
Language | हिंदी / Hindi |
Download | Available |
मानव जनन अध्याय- 3 कक्षा 12वीं जीव विज्ञान नोट्स Hindi PDF Download Link 👇
– Class 12 Biology Chapter 3 Notes in Hindi PDF | मानव जनन अध्याय- 3 कक्षा 12वीं जीव विज्ञान नोट्स–
‘वह प्रक्रिया, जिसके द्वारा जीव अपने समान जीव की उत्पत्ति करता है, वह प्रक्रिया जनन कहलाती है।’ मनुष्य जरायुज (Viviparous) होते हैं अर्थात् मनुष्य में निषेचित अण्डे का भ्रूणीय विकास गर्भाशय में ही होता है तथा ये सुविकसित शिशु को जन्म देते हैं। मनुष्य एकलिंगी (Unisexual) प्राणी है एवं नर तथा मादा जननांगों या लैंगिक लक्षणों में ही नहीं, वरन् ये आकारिकी लक्षणों (बाह्य लक्षणों) में भी लैंगिक द्विरूपता (Sexual dimorphism) दर्शाते हैं।
नर या पुरुष जनन तन्त्र
नर जनन तन्त्र को निम्नलिखित अंगों में विभक्त किया जाता है
1. प्राथमिक जनन अंग-वृषण (Primary reproductive organ-Testis) यह ग्रन्थिल अण्डाकार ग्रन्थि है, जो देहगुहीय एपिथीलियम से आवरित रहती है तथा वृषण कोष (Scrotum) में उपस्थित होती है।
वृषण कोष का तापमान शरीर के तापमान से 2-3°C कम होता है, जिस पर शुक्राणुओं का निर्माण होता है। शुक्रजनन नलिकाएँ (Seminiferous tubules) वृषणों की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई होती हैं। इन शुक्रनलिकाओं में, शुक्रजननीय कोशिकाएँ (Spermatogenic cells), जो शुक्राणु बनाती हैं तथा अवलम्बन कोशिकाएँ (Supporting cells) या सर्टोली कोशिकाएँ जो शुक्राणु को पोषण प्रदान करती हैं, उपस्थित होती हैं। नलिकाओं के बीच-बीच में लीडिंग कोशिकाएँ उपस्थित होती हैं, जो टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन का त्रावण करती हैं।
2. सहायक जनन अंग नर जनन में सहायक अंग निम्न प्रकार के होते हैं
(i) शुक्रवाहिकाएँ (Vasa efferentia) ये वृषण से निकलने वाली पतली नलिकाएँ होती है, जो कुण्डलित होकर अधिवृषण बनाती हैं।
(ii) अधिवृषण (Epididymis) यह शुक्रवाहिकाओं का समूह होता है, जिसमें शुक्राणु परिपक्व होते हैं।
(iii) शुक्रवाहिनी (Vas deferens) ये अधिवृषण से निकलती हैं तथा मूत्रमार्ग के चारों ओर फैलकर शुक्राशय (Seminal vesicle) बनाती हैं। यह शुक्राणुओं का संग्रह तथा परिवहन करती हैं।
(iv) मूत्रमार्ग (Urethra) मूत्र तथा वीर्य दोनों इसी मार्ग द्वारा शरीर से बाहर आते हैं।
(v) शिश्न (Penis) यह उत्तेजनशील मैथुन अंग (Erectile copulatory organ) होता है। जो शुक्राणुओं के मादा जनन मार्ग में परिवहन हेतु सहायक होता है।
3. सहायक ग्रन्थियाँ ये प्रायः तीन प्रकार की होती हैं
(i) प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostate gland) यह ग्रन्थि क्षारीय द्रव स्रावित करती है, जो मूत्रमार्ग में अवशिष्ट मूत्र से उत्पन्न अम्लता को समाप्त करता है।
(ii) काउपर ग्रन्थियाँ (Cowper’s glands) इन्हें बल्बोयूरेथ्रल ग्रन्थियाँ (Bulbourethral glands) भी कहते हैं। ये क्षारीय द्रव स्रावित करती हैं, जो मूत्रमार्ग को क्षारीय करता है, जिससे शुक्राणु सुरक्षित रहते हैं।
(iii) शुक्राशय (Seminal vesicle) शुक्राशय शुक्राणु के लिए श्यान द्रव्य बनाते हैं, जो वीर्य (Semen) के आयतन का भाग होता है। यह शुक्राणु को संरक्षण एवं पोषण प्रदान करता है।
नोट शुक्रजनन नलिकाएँ वृषण की भीतरी सतह पर नलिकाओं के एक घने जाल में खुलती हैं, इसे वृषण जालिका (Rete testes) कहते हैं। इससे 5-20 शुक्र वाहिकाएँ निकलकर एपिडिडाइमिस नलिका (Epididymis duct) में खुलती है।
मादा या स्त्री जनन तन्त्र
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मादा जनन तन्त्र निम्नलिखित अंगों में विभक्त किया जाता है (मानव जनन अध्याय- 3 कक्षा 12वीं जीव विज्ञान नोट्स)
1. प्राथमिक जनन अंग अण्डाशय (Primary reproductive organ-Ovaries) मादा में एक जोड़ी अण्डाशय श्रोणि (Pelvic) गुहा में गर्भाशय के दोनों ओर, अण्डवाहिनियों के पीछे, नीचे की ओर स्थित होते हैं। ये मीसोवेरियन स्नायु द्वारा वृक्क के पीछे देह भित्ति से जुड़े रहते हैं। प्रत्येक अण्डाशय अण्डाशयी स्नायु (Ovarian ligament) द्वारा गर्भाशय से तथा अण्डाशयी फिम्ब्री (Ovarian fimbrae) द्वारा अण्डवाहिनी से जुड़ा रहता है। अण्डाशय में परिधि की ओर ग्राफियन पुटिकाएँ होती हैं, जिनमें अण्डाणु का निर्माण होता है। ये अण्डाणु एस्ट्रोजन (Oestrogen) एवं FSH के प्रभाव में उत्पन्न होते हैं।
2. सहायक जनन अंग सहायक जनन अंग निम्नलिखित होते हैं
(i) फैलोपियन नलिका (Fallopian tube) ये एक जोड़ी पतली व कुण्डलित’ नलिकाएँ होती हैं, जो अण्डाशय को गर्भाशय से जोड़ती है। इसके तुम्बिका एवं संकीर्ण पथ के सन्धि स्थान पर अण्डाणु का शुक्राणु से निषेचन होता है।
(ii) गर्भाशय (Uterus) यह पेशीय थैलीनुमा संरचना है, जिसमें भ्रूण का विकास होता है।
(iii) योनि (vagina) यह सम्भोग (Mating) के दौरान शिश्न से वीर्य ग्रहण करती है तथा शिशु के जन्म के समय जन्म नाल के रूप में कार्य करती है।
(iv) भग (Vulva) स्त्री के बाह्य जनन अंगों को सामूहिक रूप से भग कहते हैं।
3. सहायक ग्रन्थियाँ ये प्रायः दो प्रकार की होती हैं
(i) बार्थोलिन ग्रन्थियाँ (Bartholin’s glands) ये मलाशय व वेस्टीब्यूल के बीच स्थित होती हैं तथा चिपचिपा द्रव स्रावित करती हैं, जो मैथुन में सहायक होता है।
(ii) स्तन ग्रन्थियाँ (Mammary glands) एक जोड़ी स्तन ग्रन्थियाँ वक्ष के अधर भाग में स्थित होती हैं। ये दुग्ध स्रावण करने वाली ग्रन्थियाँ हैं।
युग्मकजनन
वृषण अथवा अण्डाशय की जननिक उपकला (Germinal epithelium) की कोशिकाओं से अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा युग्मक निर्माण की क्रिया को युग्मकजनन (Gametogenesis) कहते हैं। नर में नर युग्मक या शुक्राणु (Sperm) तथा मादा में मादा युग्मक या अण्डाणु या डिम्बाणु (Ovum) बनते हैं।
शुक्रजनन
यह प्रक्रिया वृषण की शुक्रजन नलिकाओं (Seminiferous tubules) में होती है। शुक्रजनन की गुणन प्रावस्था में जनन उपकला की कोशिकाओं में बार-बार समसूत्री विभाजन द्वारा शुक्राणुजनन कोशिकाएँ (Spermatogonia) बनती हैं। वृद्धि प्रावस्था में शुक्राणुजन कोशिकाएँ पोषक पदार्थ एकत्र कर प्राथमिक प्रशुक्राणुजन (Primary spermatocytes) बनाती है जो परिपक्वन प्रावस्था में अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा प्राकृशुक्राणु या प्रशुक्राणु (Spermatids) बनाती हैं।
प्राक्शुक्राणु के परिपक्व शुक्राणु में परिवर्तित होने की क्रिया शुक्रकायान्तरण (Spermiogenesis) कहलाती है।
शुक्राणु
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इसके प्रमुख तीन भाग होते हैं।
1. शीर्ष
3. पुच्छ
2. मध्य खण्ड
शीर्ष भाग में केन्द्रक के ऊपर एक टोपी के समान रचना एक्रोसोम पाई जाती है। इससे स्रावित हायल्यूरोनिडेज एन्जाइम मादा अण्डाणु के बाहर उपस्थित द्वितीयक भित्ति को भेदने का कार्य करता है, जिससे शुक्राणु, अण्डाणु में प्रवेश करके उसे निषेचित कर सके।
अण्डजनन
इसकी गुणन प्रावस्था में अण्डाशय के भीतर की प्रारम्भिक जनन कोशिकाओं में समसूत्री विभाजन द्वारा अण्डाणुजन या अण्डजननी कोशिकाएँ (Oogonia) बनती हैं। वृद्धि प्रावस्था में अण्डजनन कोशिकाएँ पोषक पदार्थ या पीतक (Yolk) एकत्र कर प्राथमिक अण्डक (Primary oocyte) बनाती हैं।
डिम्बोत्सर्ग (Ovulation) के पश्चात् अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा प्राथमिक अॅण्ड कोशिका एक बड़ी द्वितीयक अण्ड कोशिका तथा छोटी प्रथम ध्रुव कोशिका बनाती है। तत्पश्चात् द्वितीयक अण्ड कोशिका समसूत्री विभाजन द्वारा एक छोटी द्वितीय ध्रुव कोशिका तथा बड़ा अण्डाणु बनाती है।
नोट मानव स्त्री के एक अण्डाणु मे 23 गुणसूत्र उपस्थित होते हैं, जिसमें 22 कायिक गुणसूत्र और एक लिंग गुणसूत्र ‘X’ होता है।
आर्तव (मासिक) चक्र [Class 12 Biology Chapter 3 Notes in Hindi PDF Download]
मादा में जननकाल के प्रारम्भ के साथ ऋतुस्राव प्रारम्भ होता है, जो जननकाल की समाप्ति के पश्चात् रुक जाता है। इस काल में प्रति माह अण्डाशय से एक अण्डे का उत्सर्जन होता है। निषेचन न होने की स्थिति में गर्भाशय की दीवार एवं अण्डाशय में चक्रीय परिवर्तन होते हैं, इस चक्र को मासिक या आर्तव चक्र कहते हैं। मासिक चक्र की तीन अवस्थाएँ होती हैं
(i) क्रम प्रसारी अवस्था (Proliferative phase) FSH पुटिकाओं को एस्ट्रोजन के स्रावण के लिए प्रेरित करता है। इस अवस्था का अन्तराल 1-12 दिनों का होता है।
(ii) खावित अवस्था (Secretory phase) कॉर्पस ल्यूटियम प्रोजेस्टेरॉन तथा एस्ट्रोजन की अधिक मात्रा का स्रावण करता है। इस अवस्था का अन्तराल 12-14 दिन का होता है। इसे प्रोग्रेसिव प्रावस्था भी कहते हैं, क्योंकि अन्तःस्तर सगर्भता तथा रोपण के लिए तैयार हो जाता है।
(iii) मासिक अवस्था (Menstrual phase) यह पुराने मासिक चक्र की अन्तिम तथा नए मासिक चक्र की प्रारम्भिक अवस्था होती है। यदि अण्डाणु निषेचित नहीं है, तो कॉर्पस ल्यूटियम प्रोजेस्टेरॉन स्तर में कमी के कारण नष्ट हो जाता है। इसमें गर्भाशयी एण्डोमीट्रियम के टूटने से रुधिर का खाय होता है। यह खाय लगभग 5 दिन चलता है। यह FSH, LH, एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टेरॉन के द्वारा नियन्त्रित होता है। यदि
निषेचन नहीं होता है, तो कॉर्पस ल्यूटियम कॉर्पस एल्बिकेन्स में परिवर्तित हो जाता है, जो काले धब्बे की तरह दिखाई देता है।
निषेचन एवं अन्तर्रोपण
अगुणित नर शुक्राणु (n) व अगुणित मादा अण्डाणु (n) युग्मकों के संयोजन को निषेचन कहते हैं, जिसके फलस्वरूप द्विगुणित (27) युग्मनज (Zygote) का निर्माण होता है। स्तानियों में फैलोपियन नलिकाओं में यह क्रिया सम्पन्न होती है।
निषेचन के पूर्व अण्डाणु से फर्टीलाइजन का खावण होता है। यह शुक्राणु की सतह पर एन्टीफर्टीलाइजिन नामक ग्राही से क्रिया करता है, जिसके फलस्वरूप दोनों में आसंजन हो जाता है। निषेचन के समय एक्रोसोम हायल्यूरोनिडेज (Hyaluronidase) एन्जाइम का मोचन करता है, जो अण्डाणु को घेरे हुए कोरोना रेडिएटा में उपस्थित हायल्यूरोनिक अम्ल को घोल देता है।
*निषेचन के 24 घण्टे बाद से युग्मनज में विदलन की प्रक्रिया प्रारम्भ होती है। युग्मनज का समसूत्री विभाजन द्वारा लगातार बढ़ती हुई संख्या और घटते हुए आकार की कोशिकाओं में सतत् विखण्डन विदलन (Cleavage) कहलाता है। विदलन के फलस्वरूप बनी कोशिकाओं को कोरकखण्ड (Blastomeres) कहते
हैं। विदलन का प्रकार अण्डे में पीतक की मात्रा व वितरण पर निर्भर करता है।
*लगातार विदलनों के पश्चात् कोशिकाओं की एक ठोस गेंद बन जाती है, जिसे मोरुला (Morula) कहते हैं। मोरुला में कोरकगुहा (Blastocoel) अनुपस्थित होती है।
* तत्पश्चात् लगातार विदलन के फलस्वरूप कोरकखण्डों के मध्य में एक गुहा (कोरकगुहा) विकसित हो जाती है, जो कोशिकीय आवण जैसे कार्बोहाइड्रेट व एल्ब्यूमिन से भरी रहती है, इस अवस्था को ब्लास्टुला या कोरक कहते हैं। पक्षियों में इसे ब्लास्टोसिस्ट तथा स्तनियों में ब्लास्टोडर्मिक आशय कहते हैं। भ्रूण का गर्भाशय की दीवार से जुड़ना रोपण (Implantation) कहलाता है। ब्लास्टुला अवस्था में भ्रूण को सर्वप्रथम गर्भाशय से जोड़ने का कार्य
अपरा / कोरिऑन नामक झिल्ली करती है।
सगर्भता तथा भ्रूणीय परिवर्धन
भ्रूण के अन्तर्रापण के पश्चात् इसकी ब्लास्टोमीयर्स कोशिकाएँ आकारजनिक (Morphogenetic) विकास गतियाँ करते हैं। ये प्रमुख गतियाँ एपीबोली अर्थात् भावी एक्टोडर्म कोशिकाओं का चारों ओर फैलना तथा एम्बोली अर्थात् भावी अन्तस्त्वचा व मध्यजननस्तर कोशिकाओं का अन्दर की ओर चलना होता है। इन गतियों के कारण भ्रूण का गर्भाशय तीन जनन स्तरीय बन जाता है तथा आर्केन्टेरॉन (Archenteron) या गैस्ट्रोसील (Gastrocoel) गुहा का निर्माण हो जाता है और अन्त में विभिन्न अंगों की प्रारम्भिक रचनाएँ बनती हैं, जैसे-रुधिर, वृक्क, हृदय, जनद, त्वचा की डर्मिस, आदि का उद्भव भ्रूणीय मीसोडर्म से होता है।
बाह्य भ्रूणीय झिल्लियाँ
ये झिल्लियाँ भ्रूण की बाह्य ब्लास्टोडर्म से विकसित होती हैं और वास्तविक भ्रूण के निर्माण में भाग नहीं लेती हैं। अत: इन्हें बाह्य भ्रूणीय कलाएँ (Extraembryonic membrane) कहते हैं। भ्रूण कलाएँ पीतक कोष, एम्निऑन, कोरिऑन तथा अपरापोषिका प्रकार की होती है।।
प्लेसेन्टा या अपरा
अपरा (Placenta ) वह संरचना है, जिसके द्वारा जरायुज स्तनधारियों का विकासशील भ्रूण या गर्भ अपना पोषण मातृ गर्भाशयी रुधिर से प्राप्त करता है। यह पोषण के अतिरिक्त भ्रूण के श्वसन, प्रतिरक्षण व उत्सर्जन सम्बन्धी कार्यों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
अपरा से गर्भावस्था में कोरिओनिक गोनैडोट्रॉपिन, एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरॉन तथा रिलेक्सिन नामक हॉर्मोनों का स्राव होता है।
नोट • सभी यूथीरियन स्तनियों में रुधिर जरायु अपरा पाया जाता है; जैसे मनुष्य तथा कपि।
प्रसव
गर्भावधि पूर्ण होने पर शिशु का जन्म गर्भाशय की अनैच्छिक पेशियों में संकुचन (Involuntary muscular contraction) की लम्बी प्रक्रिया से होता है, इसे प्रसव संकुचन (Labour contraction) कहते हैं तथा इस अनुभव को प्रसव वेदना (Labour pain) भी कहते हैं।
दुग्धस्रावण
सगर्भता अवधि के अन्त में शिशु के जन्म के पश्चात् स्तन ग्रन्थियों में प्रोलैक्टिन हॉर्मोन द्वारा दुग्धस्रावण प्रारम्भ हो जाता है। यह पीयूष ग्रन्थि के अग्र पिण्ड से सावित होता है। प्रसव पश्चात् प्राप्त प्रथम दुग्ध को प्रथम स्तन्य या कोलोस्ट्रम कहते हैं। यह हॉर्मोन अति पोषक द्रव होता है जो शिशु के प्रतिरक्षा तन्त्र को मजबूत बनाता है।
Class 12 Biology Chapter 3 Notes in Hindi PDF: Human Reproduction
विज्ञान विषय (Science subject) की प्रिपरेशन में अन्य विषय की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही समय लगता है क्योंकि विज्ञान के छात्रों को theory के अलावा practicals की भी तैयारी करनी होती है इसलिए अगर ऑनलाइन नोट्स मिल जाये तो तैयारी में कम समय लग सकता है और छात्र भी और विषय की तैयारी भी भलिभांति हो सकेगी।
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Class 12 Biology Chapter 3 Notes in Hindi PDF Download (मानव जनन अध्याय- 3 कक्षा 12वीं)
जैसा कि आपने पढ़ लिया होगा कि Class 12 Biology Chapter 3 के Notes में मानव जनन के बारे में बताया गया हैं और इस पीडीऍफ़ में भी Class 12 Biology Chapter 3 के अनुरूप ही नोट्स बनाये गए हैं जिसमें आपको – नर या पुरुष जनन, मादा या स्त्री जनन तन्त्र, निषेचन एवं अन्तर्रोपण, सहायक जनन अंग, आदि के बारे में नोट्स मिलेंगे।
तो प्रिय छात्रों, हमें उम्मीद है कि आपने Class 12 Biology Chapter 3 Notes in Hindi PDF को download कर लिया होगा। यदि आपको नोट्स डाउनलोड करने में कोई प्रॉब्लम आ रही है तो निचे दिए गए कमेंट सेक्शन (comment section) के माध्यम से आप हमें सूचित कर सकते हैं और हाँ आप ये नोट्स को अपने मित्रों के साथ साझा करना न भूले।
धन्यवाद और शुभकामनाएं।
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